छत्तीसगढ़

NMDC Negligence : तालाब जहरीला…खेती चौपट…पशुओं की मौत…बच्चे गंभीर…बैलाडीला खदानों का लाल पानी पहुंचा रहा है यह नुकसान…गुस्साए ग्रामीणों का विशाल पदयात्रा

एनएमडीसी कर रही लापरवाही

बीजापुर, 19 सितंबर। NMDC Negligence : छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में एनएमडीसी की बैलाडीला खदानों से निकलने वाले लाल पानी की गंभीर समस्या को लेकर शुक्रवार को लगभग 45 गांवों के ग्रामीणों ने पदयात्रा निकाली। बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी के नेतृत्व में ग्राम हिरोली से शुरू हुई यह पदयात्रा शनिवार को जिला मुख्यालय बीजापुर पहुंचेगी, जहां एक विशाल आमसभा आयोजित की जाएगी। ग्रामीणों की इस पदयात्रा का उद्देश्य लाल पानी की समस्या से निजात, पर्यावरण संरक्षण, जल शोधन संयंत्र की स्थापना, क्षतिपूर्ति, और बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपना है। एनएमडीसी कर रही लापरवाही पदयात्रा में शामिल ग्रामीणों का कहना है कि एनएमडीसी की लौह अयस्क खदानों से निकलने वाले अपशिष्ट ने बीजापुर जिले की नदियों, नालों और तालाबों को जहरीला बना दिया है। इससे न केवल खेती चौपट हो रही है, बल्कि पशुओं की मौत और बच्चों की सेहत पर गंभीर असर भी देखने को मिल रहा है। विधायक विक्रम मंडावी ने कहा, “एनएमडीसी की खदानों से निकलने वाला यह जहरीला लाल पानी 45 गांवों की जिंदगी तबाह कर रहा है। लोग त्वचा रोग, पेट की बीमारियां और किडनी की समस्याओं से जूझ रहे हैं। खेत बंजर हो रहे हैं और पशु दूषित पानी पीकर मर रहे हैं।” धान की फसल तबाह  ग्रामीणों के अनुसार, खेतों की मिट्टी और पानी का रंग लाल हो गया है। धान की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। पेयजल की सुविधा नहीं और इलाज के लिए भी कहीं जाना पड़ता है। बच्चों की सेहत पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है। एनएमडीसी पर अपशिष्ट प्रबंधन में लापरवाही का आरोप लगाया गया है। पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे विधायक मंडावी ने की ये मांगे, प्रभावित क्षेत्र का तत्काल सर्वे कराया जाए। फसलों, पशुओं और भूमि क्षति का मुआवजा दिया जाए। क्षेत्र में सुविधायुक्त अस्पताल और स्कूल खोले जाएं। युवाओं को रोजगार के अवसर दिए जाएं। जल शोधन संयंत्र स्थापित किया जाए। एनएमडीसी को सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी निभाने के लिए बाध्य किया जाए।
बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भागीदारी
पदयात्रा में प्रभावित गांवों के किसान, मजदूर, जनप्रतिनिधि और कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए हैं। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि अगर जल्द हल नहीं निकला तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। यह मुद्दा आदिवासी समुदाय के लिए जीवन, आजीविका और स्वास्थ्य का सवाल बन चुका है। अब देखना होगा कि सरकार और एनएमडीसी इस संवेदनशील मामले में क्या कदम उठाते हैं।

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