
मनेंद्रगढ़। सरगुजा संभाग का गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क अब तेजी से एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में पहचान बना रहा है। चार महीने पहले उद्घाटन के बाद से यहां 8 हजार से अधिक पर्यटक पहुंच चुके हैं। खास बात यह है कि बड़ी संख्या में सैलानी पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के अनूपपुर, रीवा, शहडोल और कटनी जैसे जिलों से भी यहां आ रहे हैं।
यह पार्क विशेष इसलिए है क्योंकि यहाँ 29 करोड़ वर्ष पुराने समुद्री जीवाश्म मिले हैं। यह एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा समुद्री जीवाश्म पार्क माना जाता है और इसे राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा भी प्राप्त है। इसकी खोज 1954 में भूवैज्ञानिक एसके घोष ने कोयला खनन के दौरान की थी। 2015 में लखनऊ स्थित बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ पैलेंटोलॉजी ने भी इसकी वैज्ञानिक पुष्टि की।
डीएफओ की पहल से नया रूप
दो साल पहले तक यह इलाका उपेक्षित पड़ा था, लेकिन मनेंद्रगढ़ डीएफओ मनीष कश्यप (आईएफएस, 2015 बैच) की पहल से इसे पर्यटन के लिहाज से विकसित किया गया। गुजरात और झारखंड के डायनासोर फॉसिल पार्क की तर्ज पर यहाँ कई आकर्षक गतिविधियाँ शुरू की गईं।
हसदेव नदी किनारे प्राकृतिक ग्रेनाइट चट्टानों को तराशकर प्राचीन जीव-जंतुओं की 35 विशाल मूर्तियाँ बनाई गईं।
यहाँ का यह पहला रॉक गार्डन है, जो पर्यटकों को करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर रहे जीवों की झलक दिखाता है।
इंटरप्रिटेशन सेंटर में फॉसिल्स, पेंटिंग्स, और वीडियो डिस्प्ले के जरिये पृथ्वी के विकास की कहानी बताई जाती है।
कैक्टस गार्डन, बांस उद्यान और प्राचीन पौधों का रोपण भी किया गया है।
हसदेव नदी में बांस राफ्टिंग और बोटिंग की सुविधा है, साथ ही नेचर ट्रेल भी विकसित किया गया है।
प्रचार और समर्थन
डीएफओ ने यूट्यूबर्स, सोशल मीडिया और विभिन्न समाचार माध्यमों के जरिए पार्क का व्यापक प्रचार किया, जिससे लाखों लोगों तक इसकी पहचान पहुंची। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री और स्थानीय विधायक श्याम बिहारी जायसवाल ने भी वन विभाग को बजट और गाइडेंस में सहयोग दिया।
वैज्ञानिक और शैक्षिक महत्व
यह पार्क न सिर्फ पर्यटन बल्कि शिक्षा और शोध के लिहाज से भी बेहद अहम है। यहाँ से मिले जीवाश्मों में बायवेल्व, गैस्ट्रोपॉड, ब्रैकियोपॉड, क्रिनॉइड और ब्रायोजोआ जैसे प्राचीन समुद्री जीव शामिल हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि पर्मियन युग में यह क्षेत्र समुद्र से ढका हुआ था और ग्लेशियरों के पिघलने के बाद समुद्री जीव चट्टानों में दबकर जीवाश्म बने।
भविष्य की संभावनाएँ
गर्मियों और बरसात के बावजूद 8 हजार पर्यटकों का पहुँचना इस पार्क की लोकप्रियता दर्शाता है। आने वाले ठंड के मौसम में यहाँ पर्यटकों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही, स्थानीय लोगों को रोजगार और क्षेत्र को विकास की नई दिशा मिल रही है।