
कोरबा। रिश्तेदार की बीमारी का इलाज कराने के नाम पर समिति से 40 लाख रुपए तक उधार लेने वाले एसईसीएल कर्मी और उसकी पत्नी की नीयत आखिरकार बिगड़ गई। रकम लौटाने की बजाय उन्होंने दिए गए चेक को ही छलपूर्वक बैंक से निरस्त करा लिया। अब समिति अपने पैसे के लिए दर-दर भटक रही है। न्यायालय के निर्देश पर पुलिस ने दोनों के खिलाफ ठगी का अपराध दर्ज कर लिया है।
समिति ने मानवीय आधार पर दिया कर्ज
परिवादिनी लेखिका चंद्रा, चंद्र स्वजन कल्याण समिति कोरबा की उपाध्यक्ष हैं। समिति समाज के लोगों को बिना ब्याज के जरूरत पड़ने पर मदद करती है। इसी क्रम में एसईसीएल कर्मी हरिशंकर रैकवार ने 2019 में अपने साले के ब्रेन ट्यूमर और बाद में कैंसर के इलाज का हवाला देते हुए समिति से लाखों रुपए की मदद मांगी।
समिति ने मानवीय धर्म निभाते हुए 2019 से 2020 के बीच किश्तों और नगद मिलाकर कुल 38 लाख 10 हजार रुपए हरिशंकर और उसकी पत्नी उषा किरण को प्रदान किए। इसके एवज में कई बार लिखित इकरारनामा भी कराया गया और किश्तों में रकम लौटाने का वादा भी किया गया।
समय मांगते रहे, लेकिन रकम नहीं लौटाई
पहले 2021, फिर 2022 और फिर 2023 तक रकम लौटाने की समयसीमा बढ़ाई गई, मगर दंपति ने एक भी किस्त नहीं चुकाई। 10 लाख रुपए का चेक भी दिया गया, लेकिन बाद में उसे भी निरस्त करा लिया गया। बैंक ने लिखित में बताया कि उषा किरण ने अपने खाते की पूरी चेकबुक ही रद्द करा दी थी। यानी रकम चुकाने की नीयत ही शुरू से संदिग्ध थी।
रिटायरमेंट के बाद फरार
हरिशंकर रैकवार ने समिति को भरोसा दिलाया था कि 30 जून 2025 को सेवानिवृत्त होने के बाद मिलने वाली एकमुश्त राशि से पूरा कर्ज चुका देगा। लेकिन रिटायरमेंट के कुछ दिनों बाद ही पति-पत्नी अपने घर पर ताला लगाकर गायब हो गए। फोन भी बंद कर दिए।
न्यायालय के आदेश पर अपराध दर्ज
जब समिति को ठगी का अंदेशा हुआ तो मामला न्यायालय पहुंचा। न्यायिक मजिस्ट्रेट कटघोरा ने आदेश दिया कि दोनों के खिलाफ अपराध दर्ज किया जाए। इसके बाद कुसमुंडा पुलिस ने हरिशंकर रैकवार और उसकी पत्नी उषा किरण के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 3(5) और 318(4) के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना शुरू कर दी है।