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अरपा भैंसाझार परियोजना मुआवज़ा घोटाला: अपर कलेक्टर कीर्तिमान सिंह राठौर के खिलाफ ईओडब्ल्यू जांच को सरकार की मंजूरी

रायपुर। राज्य सरकार ने बिलासपुर जिले के कोटा में पदस्थ रहे पूर्व एसडीओ (राजस्व) और भू-अर्जन अधिकारी कीर्तिमान सिंह राठौर के खिलाफ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को जांच की अनुमति दे दी है। मामला अरपा भैंसाझार परियोजना में मुआवज़ा वितरण के दौरान हुए करोड़ों के घोटाले से जुड़ा है।

वर्तमान में राठौर रायपुर कलेक्टोरेट में अपर कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। हालांकि, ईओडब्ल्यू अधिकारियों का कहना है कि आदेश की प्रति उन्हें अभी प्राप्त नहीं हुई है।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई

सामान्य प्रशासन विभाग, मंत्रालय महानदी भवन अटलनगर द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, ईओडब्ल्यू-एसीबी की प्रारंभिक जांच में गंभीर अनियमितताएं सामने आई थीं। इसके आधार पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17(क) के तहत यह कार्रवाई की जा रही है। विभागीय पत्र में साफ किया गया है कि राठौर पर लगे आरोपों को गंभीर मानते हुए जांच की अनुमति दी गई है।

क्या है घोटाला

अरपा भैंसाझार परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान एक ही भूमि सर्वे नंबर में अलग-अलग रकबे दिखाकर करीब 3 करोड़ 42 लाख 17 हज़ार 920 रुपये की अनियमितता की गई थी।
उस समय तत्कालीन कोटा एसडीएम आनंद रूप तिवारी, भू-अर्जन अधिकारी कीर्तिमान सिंह राठौर और अन्य अधिकारियों को जिम्मेदार पाया गया था।

बाद में बिलासपुर के तत्कालीन कलेक्टर सौरभ कुमार की अध्यक्षता में गठित जांच समिति ने भी इन अनियमितताओं की पुष्टि की थी। इस घोटाले में राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि अन्य दोषियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।

इन पर गिरी गाज

जांच रिपोर्ट में जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराया गया, उनमें शामिल हैं:

  1. तत्कालीन कोटा एसडीएम आनंद रूप तिवारी
  2. तत्कालीन भू-अर्जन अधिकारी कीर्तिमान सिंह राठौर
  3. तत्कालीन नायब तहसीलदार मोहर साय सिदार
  4. तत्कालीन राजस्व निरीक्षक राहुल सिंह
  5. तत्कालीन पटवारी दिलशाद अहमद
  6. तत्कालीन आरआई मुकेश साहू
  7. जल संसाधन विभाग के तत्कालीन कार्यपालन अभियंता आरएस नायडू और अशोक तिवारी
  8. तत्कालीन एसडीओ तखतपुर राजेंद्र प्रसाद मिश्रा, आरपी द्विवेदी, सब इंजीनियर आरके राजपूत

सरकार का सख्त संदेश

राज्य सरकार के इस कदम को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश माना जा रहा है। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। अब आगे की विस्तृत जांच ईओडब्ल्यू-एसीबी करेगी और रिपोर्ट आने के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई तय होगी।

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