छत्तीसगढ़

CM Vishnu Sai के नेतृत्व में शिक्षा विभाग की ऐतिहासिक पहल…! पदोन्नत प्राचार्यों के लिए ऑनलाइन काउंसिलिंग शुरू

रायपुर, 20 अगस्त। CM Vishnu Sai की सुशासन वाली सरकार द्वारा शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और व्यवस्थित प्रशासन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। आज राजधानी रायपुर के शासकीय शिक्षा महाविद्यालय, शंकर नगर परिसर में 845 नव पदोन्नत प्राचार्यों के लिए ऑनलाइन ओपन काउंसिलिंग प्रक्रिया का शुभारंभ हुआ।

इस प्रक्रिया के तहत प्राचार्यों की पदस्थापना अब पूरी तरह पारदर्शी और वरिष्ठता आधारित होगी। काउंसिलिंग का संचालन 20 अगस्त से 23 अगस्त तक प्रतिदिन दो पालियों में किया जाएगा, प्रत्येक पाली में 150 प्राचार्य भाग लेंगे।

काउंसिलिंग की पारदर्शिता

रिक्त पदों की सूची और पदोन्नति आदेश पहले ही शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है, जिससे चयन पूरी तरह खुले और स्पष्ट विकल्पों के आधार पर हो रहा है।

वरिष्ठता आधारित चयन

  • सबसे पहले दिव्यांग अभ्यर्थियों को अवसर
  • फिर महिला प्राचार्य,
  • और अंत में पुरुष प्राचार्य को वरिष्ठता क्रम से संस्था चयन का अधिकार मिलेगा।
  • 1 वर्ष से कम समय में सेवानिवृत्त होने वाले प्राचार्यों को भी प्राथमिकता दी जा रही है।

काउंसिलिंग प्रक्रिया

  • वेटिंग हॉल और काउंसिलिंग कक्ष अलग से तय
  • केवल अभ्यर्थियों को ही प्रवेश
  • सेवा प्रमाण पत्र और फोटोयुक्त पहचान पत्र अनिवार्य
  • अंतिम दिन 23 अगस्त को अनुपस्थितों को मिलेगा एक और मौका

पदस्थापना आदेश

काउंसिलिंग पूरी होने के बाद शासन द्वारा पदस्थापना आदेश जारी किए जाएंगे। इसके बाद सभी प्राचार्यों को 7 दिनों के भीतर पदग्रहण करना अनिवार्य होगा।

अधिकारियों की भूमिका

काउंसिलिंग की पूरी प्रक्रिया संचालक लोक शिक्षण श्री ऋतुराज रघुवंशी की निगरानी और मार्गदर्शन में संचालित हो रही है। साथ ही शिक्षा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी लगातार प्रक्रिया पर नजर बनाए हुए हैं।

सरकार की मंशा स्पष्ट

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और त्वरित कार्यप्रणाली को बढ़ावा दे रही है। इस प्रकार की ओपन काउंसिलिंग से प्राचार्यों को न्यायसंगत अवसर मिल रहा है और विभागीय कामकाज में विश्वास और पारदर्शिता की भावना और मजबूत हो रही है।

शिक्षा विभाग की यह पहल राज्य में सुशासन की नई मिसाल बन रही है। यह प्रक्रिया न केवल प्राचार्यों के लिए सुविधा और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र में भरोसे और निष्पक्षता को भी बढ़ावा देती है।

 

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