
✍️ सतीश अग्रवाल
बिलासपुर। एग्रोफॉरेस्ट्री में अपनी असाधारण वृद्धि दर के लिए मशहूर ‘मिलिया दूबिया’ अब छत्तीसगढ़ में भी रोपण के लिए उपलब्ध है। यह प्रजाति सिर्फ तीन से आठ साल में 30 से 35 फीट की ऊंचाई तक पहुंच जाती है। इसकी पत्तियां न केवल मवेशियों के लिए पौष्टिक चारा हैं, बल्कि कीट प्रकोप और संक्रमण रोकने में भी कारगर मानी जाती हैं।
वानिकी विशेषज्ञ इसे खेतों की मेड़ों में लगाने की सलाह देते हैं। वन विभाग की रोपणियों और निजी नर्सरियों में अब इस पौधे की उपलब्धता बढ़ गई है। फार्म हाउस, सब्जी बाड़ियां और कॉलोनियों में भी बड़े पैमाने पर इसके पौधों का रोपण हो रहा है।
3 साल में 30 फीट
‘मिलिया दूबिया’ 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी शानदार बढ़वार लेता है। यही कारण है कि तटीय क्षेत्रों में इसका रोपण लगातार बढ़ रहा है।
इसलिए मेड़ों में रोपण
नीम जैसी पत्तियों वाला यह पौधा मवेशियों को चारा देने के साथ-साथ कीट प्रकोप रोकने की क्षमता भी रखता है, जिससे फसलों को फायदा होता है।
उपयोग
इसकी लकड़ी से मैच बॉक्स, पैकिंग बॉक्स, पेंसिल, कृषि उपकरण और नावों के आउटरिगर बनाए जाते हैं।
देशभर में लोकप्रिय
तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में इसका रोपण बड़े स्तर पर हो रहा है, और अब छत्तीसगढ़ में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है।
विशेषज्ञ की राय
अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर के अनुसार, “मिलिया दूबिया नियत अवधि में 10 से 12 मीटर का साफ तना और 120 से 130 सेंटीमीटर की गोलाई हासिल कर लेता है। मेड़ और तटीय क्षेत्रों में इसके परिणाम और भी बेहतर होते हैं।”