
जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता वहां जिंदा कैसे बने परिंदा
कोरबा जेल से चार कैदी ऐसे फुर्र हुए जैसे किसी ने जेल की दीवार को नहीं, उनकी भावनाओं को कैद किया हो… और वो भी 25 फीट ऊंची दीवार फांदकर! अब जनता विचार कर रही है—दीवार ऊंची थी या कैदी की उड़ान?
दशकों पहले आई फिल्म शोले के गब्बर सिंह का डायलॉग तो याद ही होगा जब डाकू गब्बर सिंह जेलर ठाकुर बगदेव सिंह को कहता है “दुनिया की कोई जेल इतनी मजबूत नहीं जो गब्बर सिंह को बीस साल रोक सके।” जनमानस में चर्चा है कि शोले के डायलॉग को जेल से फरार इन चारों ने बहुत गंभीरता से ले लिया होगा तभी तो “फिल्मी” स्टाइल में जेल फांदकर फरार हो गए।
वैसे तो प्रशासन का अपना दावा दावा है जेल के भीतर “परिंदा भी पर नहीं मार सकता” लेकिन अब तो हालत ये है कि परिंदे तो छोड़िए, इंसान उड़ लिए… और वो भी चार-चार! जेल की जानकार तो चुटकुले अंदाज में ये कह रहे की जेल की सुरक्षा नहीं टूटी,बस कैदियों की “इच्छाशक्ति” मजबूत थी। आखिर कहते हैं ना—”जहां चाह, वहां राह… और दीवार चाहे 25 फीट की क्यों न हो!” वैसे तो लोगों को कहते सुना है”जिसके पास पैसा है, उसके लिए जेल भी जन्नत है…” पर कोरबा की जेल तो लगता है जन्नत से भी दो कदम आगे है एंट्री फिक्स, एग्जिट फ्लेक्सिबल!” हालांकि प्रशासन अभी भी हैरान है कि “कैदियों ने भागने के लिए सीढ़ी बनाई, रस्सी फेंकी तो सुपरमैन की ट्रेनिंग भी ली होगी। घटना ने सुरक्षा व्यवस्था की असली तस्वीर दिखा दी है और लोग कैसे कूदे कैदी पर विचार कर रही है । ”
मैनेजर टाइप थानेदारों की बोलती बंद
कोरबा पुलिस की हवा इन दिनों कुछ बदली-बदली सी है। शुक्रवार की क्राइम मीटिंग में कप्तान साहब ने थानेदारों की क्लास में सीधे सीधे उन्हें समझा दिया “फॉर्म में रहो, नहीं तो फोर्स से बाहर का रास्ता देखो!
वैसे तो साहब के कोरबा पोस्टिंग के बाद विभाग के अफसरों के कामों में कुछ खास तब्दीली नहीं आई है। महकमे में कई थानेदार मीटिंग अटेंड कर फार्मेलिटी पूरी करते हैं क्योंकि, उन्हें करना अपने मन का है। ऐसे मैनेजर टाइप थानेदारों की भी कप्तान के सख्त तेवर को देख इस बार बोलती बंद हो गई है।
वैसे भी कोरबा जिले के थानेदार जैसा डीजे होगा वैसे ही डांस करने वाले पुराने खिलाड़ी है। साहब के सख्ती के बाद भी कुछ थानेदार अभी भी “पैकेज” वाला सिंडीकेट नहीं छोड़ने वाले।
शहरों के क्राउड वाले इलाके में सड़क पर खड़ी गाड़ियां, कोयले का खेल, आउटर की वसूली, और कालरी क्षेत्र में दो नंबर वाला खेल अब नहीं चलेगा। पुलिसिंग के साथ वर्दी का खौफ भी जरूरी है। नहीं तो महकमें में नए लोगों को मौका दिया जाएगा। कुल मिला कर संदेश ये है कि “कायदे में रहोगे नहीं तो…..।
“चांद आहे भरेगा फूल दिल थाम लेंगे मरम्मत की बात चली तो सब…नाम लेंगे”
निगम ठेकेदार के साथ जब अफसर नाथ है तो बस स्टॉप की मरम्मत में भी सार्थक बात होने लगी है। निगम गलियारों में ठेकेदार आपस में खुसुर फुसर करते कह रहे है बस स्टॉप का काम साढ़े छह लाख और मरम्मत साढ़े तीन लाख, है न सार्थक बात..!
दरअसल जिस बस स्टॉप को देख नगर निगम वाले कभी मुंह फेर लेते थे,आज वही बस स्टॉप “साढ़े छः लाख” की इज्ज़त के साथ चर्चा में है क्योंकि मरम्मत भी साढ़े तीन लाख से हो रही है। मरम्मत के काम में निकल रहे मलाई को लेकर लोग कहने लगे है पूर्ववर्ती सरकार मे ठेकेदारी करने वाले सज्जन का किस्मत बुलंद है या सेटिंग ये निगम के अफसर जाने, लेकिन वे यूनिक कामो को लेकर फिर सुर्खियों में है। पहले अशोक वाटिका का काम और अब बस स्टॉप के मरम्मत की बात में नाथ का साथ चर्चा में है।
कहा तो यह भी जा रहा है गार्डन मेंटेनेंस के नाम पर 4 बस स्टॉप का एक ग्रुप बनाकर साढ़े तीन लाख में मरम्मत कराना दाल में काला नही दाल काली होने का प्रमाण है। कहा तो यह भी जा रहा कि मद परिवर्तन कर मरम्मत करना बड़ा घोटाला है जिसे अफसर अपने फायदे के लिए कहीं भी खर्च कर रहे है। निगम के अफसरो की अफसरी देख अब तो जनमानस भी कहने लगे है जब नाथ हो साथ तो सार्थक बात तो होगी ही… साहब ! फिलहाल तो हम तो इतना ही कहेंगे – “चांद आहे भरेगा फूल दिल थाम लेंगे मरम्मत की बात चली तो सब…नाम लेंगे”
दर्दे दिल की दवा
मेरे दर्दे दिल की दवा क्या करोगे.. बड़े बेवफा हो वफ़ा क्या करोगे….अंतरा घोष की ये गजल दवा खरीद घोटाले में फंसे आईएएस अफसरों के बंगलों पर रोज बज रहे हैं। ऐसा इसलिए कि अभी सप्लायर कंपनी के संचालक सहित कुल 7 लोग जेल में हैं, और ईडी के अफसर इनसे से राज उगलवा रहे हैं। पता नहीं किसके मुंह से किसका नाम निकल आएं और मलाई की जगह जेल की सूखी रोटी खानी पड़ जाए…। वैसे भी ईडी वाले जब औकात पर आते हैं बड़े.बड़े सुरमा वफ़ा भूलकर बेवफा हो जाते हैं।
खबर है कि ईओडब्ल्यू-एसीबी ने 400 करोड़ से अधिक के दवा घोटाले में कार्रवाई तो की है, लेकिन घोटाले के लिए जिम्मेदार विभाग के आला अफसर बचे रहे। अब जब मामला विधानसभा तक पहुंचा तो 3 बड़े अफसरों की तरफ उंगलियां उठीं हैं। हालांकि उन पर प्रकरण नहीं दर्ज किया गया। लेकिन, अब ईडी ने मामले को हाथ में लिया है, तो उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली है।
बोल बम का नारा है, बाबा तू ही आखिरी सहारा है..
आज सावन का आखिरी सोमवार है, और कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इंद्र योग से लेकर राजयोग बन रहा है। भोलेबाबा की कृपा भक्तों पर बरसा रही है। इस बार भक्तों में नेताजी वाली कतार ज्यादा लंबी लग रही है। कांग्रेसी तो हाईकमान के डर से छिपे मांदे भक्ति कर रहे हैं, मगर भाजपा में कांवर यात्रा की होड़ चल रही है। राजधानी रायपुर में रविवार को कांवर यात्रा में भावी मंत्री कांवर लिए आगे आगे चल रहे थे..पीछे समर्थकों की भीड़ आवाज लगा रही थी..बोल बम का नारा है, बाबा तू ही आखिरी सहारा है..। अब पता नहीं भोलेबाबा किसकी बात सुनते हैं।
हाई प्रोफाइल वाली इस कांवर यात्रा की राजधानी में जबरदस्त चर्चा है। बीजेपी में भी लोग इसके मजे ले रहे हैं। बीजेपी की अंदरूनी खबर की माने तो पार्टी अभी हर घर तिरंगा अभियान चला रही है..जो 15 अगस्त तक चलेगा। यानि मंत्री बनने वाले नेताओं को पार्टी अब कांवर की जगह तिरंगा पकड़वाने वाली है। इससे 15 अगस्त तक काम चल जाएगा..फिर 26 गणेश चतुर्थी और उसके बाद 7 सितंबर से पितर पक्ष…ऐसे में तो कुछ होने से रहा है। पता नहीं कब क्या होगा..तब तक बोल बम का नारा है, बाबा तू ही आखिरी सहारा है..।