
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पदोन्नति तो मिल गई, लेकिन जिम्मेदारी अधर में है! राज्य के 46 पुलिस अधिकारियों को डीएसपी का बैज तो जून महीने में ही थमा दिया गया था, लेकिन अब तक नई पदस्थापना के आदेश जारी नहीं हो पाए हैं। नतीजतन, ये सभी अधिकारी आज भी थानेदार की पुरानी कुर्सी पर ही जमे हुए हैं – प्रमोशन की चमक फीकी पड़ती जा रही है, और मनोबल पर इसका सीधा असर दिखने लगा है।
जून में मिली पदोन्नति, अगस्त में भी कोई आदेश नहीं!
6 जून को राज्य सरकार ने रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, कोरबा समेत अन्य जिलों में कार्यरत 46 निरीक्षकों को डीएसपी के पद पर पदोन्नत किया था। इनमें कई अधिकारी ACB, ATS और स्पेशल ब्रांच से भी थे। हालांकि, यह प्रमोशन अब ‘कागज़ी शोभा’ बनकर रह गया है, क्योंकि दो महीने बीतने के बाद भी गृह विभाग द्वारा नई तैनाती का आदेश जारी नहीं किया गया।
ट्रेनिंग पूरी, फिर भी पोस्टिंग अधूरी
पदोन्नति के कुछ ही हफ्तों बाद 21 अफसरों को बस्तर भेजकर इंडक्शन ट्रेनिंग भी पूरी कराई गई। जुलाई के अंत में वे ट्रेनिंग से लौट भी आए हैं, लेकिन अब भी मूल जिला कार्यालयों में पहले जैसी ड्यूटी बजा रहे हैं – बिना नई जिम्मेदारी, बिना नई पहचान।
करियर के अंतिम पड़ाव पर भी अधूरी पहचान
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन अधिकारियों में कई ऐसे भी हैं जो सेवानिवृत्ति के करीब हैं। जीवनभर की सेवा के बाद उन्हें यह प्रमोशन ‘सम्मान’ की तरह मिला था, लेकिन लेटलतीफी और फाइलों के फेर ने वह सम्मान भी अधूरा छोड़ दिया है। अब वे इसे “ट्रांसफर फाइलों की सुस्ती का शिकार” बता रहे हैं।
मनोबल गिर रहा, व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
वर्दी पहनने वालों को सिस्टम की सुस्ती ही थका रही है। अफसरों का कहना है कि जब प्रमोशन मिलने के बाद भी आदेश के इंतजार में महीने बीत जाएं, तो ड्यूटी में जोश की जगह निराशा ही बैठ जाती है। पुलिस महकमे के भीतर ही अब यह सवाल गूंज रहा है”क्या डीएसपी का प्रमोशन सिर्फ बैज तक ही सीमित है?”