ED Raid : चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी पर भड़की कांग्रेस…! 22 जुलाई को प्रदेशव्यापी चक्काजाम और आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान
केंद्र सरकार पर छत्तीसगढ़ की आवाज दबाने का आरोप

रायपुर। ED Raid : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को लेकर राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” करार देते हुए केंद्र सरकार और केंद्रीय एजेंसियों पर सीधे हमले किए हैं। पार्टी ने 22 जुलाई को प्रदेशव्यापी चक्काजाम और आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान किया है।
हाईलेवल बैठक में रणनीति तय
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित आपात बैठक में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाया।
दीपक बैज, पीसीसी अध्यक्ष “यह गिरफ्तारी नहीं, लोकतंत्र की गिरफ्तारी है। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ की आवाज़ दबाना चाहती है। हम 22 जुलाई को पूरे प्रदेश में चक्काजाम और आर्थिक नाकेबंदी करेंगे। खनिज संसाधनों की लूट बर्दाश्त नहीं होगी।”
डॉ. चरणदास महंत, नेता प्रतिपक्ष “कांग्रेस एकजुट है। हम भूपेश भाई के परिवार के साथ हैं। आने वाले समय में हम चरणबद्ध आंदोलन चलाएंगे। योग बजट में भी भारी भ्रष्टाचार हुआ है, जिसकी पोल खोलेंगे।”
भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री “न कोई समन, न पूछताछ सीधे गिरफ्तारी। यह सब हसदेव अरण्य और बैलाडीला को अडानी को सौंपने की साजिश का हिस्सा है। लेकिन हम डरने वाले नहीं। जैसे गांधी परिवार ने लड़ा, वैसे ही हम भी लड़ेंगे।”
कांग्रेस के आरोप
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को ईडी की मनमानी और राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया गया। पार्टी ने कहा कि ईडी की कार्रवाई विधानसभा में तमनार जंगल कटाई पर स्थगन प्रस्ताव से पहले जानबूझकर की गई। कांग्रेस का दावा है कि खनिज और जंगलों को अडानी समूह को सौंपने की केंद्र की योजना को वे हर कीमत पर रोकेंगे।
22 जुलाई को आंदोलन
कांग्रेस ने ऐलान किया है कि, प्रदेशभर में आर्थिक नाकेबंदी (ED Raid) की जाएगी। मुख्य सड़कों पर चक्काजाम किया जाएगा। पार्टी कार्यकर्ता सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन को तेज करेंगे। छत्तीसगढ़ की राजनीति में चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद टकराव का नया मोर्चा खुल गया है। कांग्रेस इसे लोकतंत्र और छत्तीसगढ़ की अस्मिता पर हमला बता रही है, वहीं केंद्र सरकार और एजेंसियों पर सत्तावादी रवैया अपनाने का आरोप लगा रही है। 22 जुलाई का आंदोलन राज्य की राजनीतिक दिशा को तय कर सकता है।