कोरबा

Rationalization : युक्तियुक्तकरण बना शिक्षा सुधार की नींव…! करतला स्कूल में गणित शिक्षक की नियुक्ति से बदली बच्चों की सोच

अब हर छात्र को मिल रहा विषय विशेषज्ञ शिक्षक

कोरबा, 06 जुलाई। Rationalization : एक समय था जब णित का नाम सुनते ही कक्षा 8वीं के छात्रों के चेहरों पर डर और उलझन साफ नजर आती थी। समीकरण, स्क्वायर, क्यूब या एल्जेब्रा जैसे विषय उनके लिए किसी पहेली से कम नहीं थे। लेकिन अब यह स्थिति तेजी से बदल रही है, और इसका श्रेय जाता है छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लागू की गई “युक्तियुक्तकरण नीति” को।

इस नीति के तहत राज्य के दूरस्थ और शिक्षकविहीन स्कूलों में विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। इसका ज्वलंत उदाहरण है शासकीय माध्यमिक शाला, करतला, जहाँ हाल ही में गणित शिक्षक किशोर केसरवानी की नियुक्ति हुई है।

बच्चों में आया आत्मविश्वास, गणित बना रुचिकर

इससे पहले स्कूल में गणित शिक्षक न होने के कारण विद्यार्थियों को विषय समझने में कठिनाई होती थी। अब केसरवानी के मार्गदर्शन में गणित को रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़कर पढ़ाया जा रहा है, जिससे छात्रों में विषय के प्रति रुचि और आत्मविश्वास दोनों बढ़ा है।

केसरवानी का मानना है, गणित केवल क्लासरूम तक सीमित नहीं है। इसे उदाहरणों, खेल और गतिविधियों के ज़रिए समझाना चाहिए।” उन्होंने बच्चों को मूलभूत फॉर्मूले, पहाड़े और व्यावहारिक गणना के तरीकों से न केवल गणित पढ़ाया, बल्कि उसे जीवन से जोड़कर समझाया।

छात्रों में दिखा उत्साह

कक्षा 8वीं के छात्र मनीष राठिया ने कहा, “पहले किताबें ही शिक्षक थीं, अब हमें समझाने वाला सर मिल गया है। अब गणित समझ में आने लगा है और डर खत्म हो गया है।” अन्य छात्र भी परीक्षा में अच्छे अंक लाने को लेकर नवीन ऊर्जा और उत्साह से भरे हुए हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव

छत्तीसगढ़ शासन की युक्तियुक्तकरण नीति के तहत ऐसे सभी स्कूलों की पहचान की जा रही है, जहाँ शिक्षकों की कमी है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शिक्षा विभाग द्वारा उठाया गया यह कदम राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है।

श्री केसरवानी, जो इससे पहले माध्यमिक शाला फरसवानी में पदस्थ थे, ने कहा, “शिक्षक की सही नियुक्ति ही शिक्षा की दिशा बदल सकती है। सरकार की इस पहल से शिक्षा का प्रकाश अब हर कोने तक पहुँच रहा है।”

युक्तियुक्तकरण नीति न सिर्फ शिक्षकों की संतुलित तैनाती का माध्यम बन रही है, बल्कि यह शिक्षा को लेकर छात्रों की सोच, उनकी समझ और आत्मविश्वास में भी बड़ा बदलाव ला रही है। कोरबा के करतला जैसे उदाहरण यह दर्शाते हैं कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएँ, तो शिक्षा वास्तव में समाज में सकारात्मक और दूरगामी बदलाव ला सकती है। यह पहल निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है।

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