Bribery Case : रायपुर मेडिकल कॉलेज रिश्वतकांड…! NMC के डॉक्टरों ने ली 55 लाख की रिश्वत…CBI ने 6 को किया गिरफ्तार
7 जुलाई तक होगी पूछताछ

रायपुर, 03 जुलाई। Bribery Case : नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज (SRIMSR) की मान्यता के लिए कथित रूप से रिश्वत लेने के मामले में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के तीन वरिष्ठ डॉक्टरों समेत छह लोगों को CBI ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि कॉलेज के पक्ष में अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट देने के लिए 55 लाख रुपए की रिश्वत हवाला के माध्यम से ली गई।
गिरफ्तार किए गए आरोपी
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डॉ. मंजप्पा सीएन- प्रोफेसर एवं एचओडी, ऑर्थोपेडिक्स, मंड्या इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, कर्नाटक
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डॉ. चैत्रा एमएस- एसोसिएट प्रोफेसर, श्री अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु
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डॉ. अशोक शेलके- सदस्य, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग
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अतुल कुमार तिवारी- निदेशक, SRIMSR रायपुर
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सथीशा एए- निजी चिकित्सक
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रविचंद्रन केएफ- डॉ. चैत्रा के पति
CBI का दावा
CBI के अनुसार, 30 जून 2025 को SRIMSR में NMC की चार सदस्यीय टीम निरीक्षण के लिए आई थी। निरीक्षण से पहले ही कॉलेज प्रबंधन और निरीक्षण दल के सदस्यों के बीच सांठगांठ हो चुकी थी। डॉ. मंजप्पा सीएन ने हवाला के जरिए 55 लाख रुपए एकत्र कराने के निर्देश दिए और इस पैसे को टीम के अन्य सदस्यों में बांटने की योजना बनाई। CBI ने योजना बनाकर बेंगलुरु में जाल बिछाया और सभी आरोपियों को रंगे हाथ 1 जुलाई को पकड़ लिया।
बरामद राशि
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16.62 लाख रुपए – डॉ. चैत्रा के पति रविचंद्रन केएफ से
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38.38 लाख रुपए – सथीशा एए से
कुल बरामद राशि: 55 लाख रुपए
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सभी आरोपियों को रायपुर की विशेष CBI अदालत में पेश किया गया
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अदालत ने 7 जुलाई 2025 तक रिमांड मंजूर की
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पूछताछ रायपुर के वीआईपी रोड स्थित CBI कार्यालय में हो रही है
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परिजनों और वकीलों को आधे घंटे की मुलाकात की अनुमति दी गई है
बचाव पक्ष का पक्ष
आरोपियों के वकीलों ने कोर्ट में कहा कि डॉक्टर निरीक्षण के लिए ईमानदारी से आए थे, रिश्वत का कोई लेन-देन नहीं हुआ। हवाला के आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। वे CBI की कार्रवाई को मनमानी गिरफ्तारी बता रहे हैं।
CBI की कार्रवाई और सबूत
CBI ने कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्यप्रदेश में 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की है।
इस दौरान डिजिटल साक्ष्य, दस्तावेज, और रकम जब्त की गई है। CBI का कहना है कि मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए फर्जी दस्तावेज, नकली मरीज, और घोस्ट फैकल्टी जैसे तरीके अपनाए गए।
क्यों है मामला गंभीर?
यह मामला भारत की मेडिकल शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर करता है। यदि आरोप साबित होते हैं, तो यह न केवल निरीक्षण प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि छात्रों और अभिभावकों के भविष्य पर भी संकट ला सकता है। CBI ने साफ किया है कि जांच अभी जारी है, और और भी गिरफ्तारियां या खुलासे हो सकते हैं।