
कोरबा। कोरबा सांसद ज्योत्सना चरण दास महंत ने जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कलेक्टर अजीत बसंत को पत्र लिखकर जवाब मांगा है। सांसद ने आरोप लगाया कि खनन प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को डीएमएफ के तहत बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
सांसद ने कहा कि भारत सरकार ने 2015 में खान और खनिज अधिनियम के तहत डीएमएफ का गठन किया था, जिसका उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में आवास, पेयजल, स्वास्थ्य, सड़क और शिक्षा जैसी सुविधाएं प्रदान करना है। 2024 में लागू प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना में खनन प्रभावित परिवारों को पक्के मकान और अन्य सुविधाएं देने का प्रावधान है। लेकिन, सांसद ने दावा किया कि एसईसीएल कोयला खदान के प्रभावितों को इसका लाभ नहीं मिल रहा।
मॉडल ग्राम योजना पर सवाल
सांसद ने गेवरा, कुसमुंडा और दीपिका खदानों से प्रभावित तेरा गांव को मॉडल ग्राम बनाने के दावे पर सवाल उठाया। तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर ममता यादव ने इसकी घोषणा की थी, लेकिन सांसद ने पूछा कि इस योजना का क्या हुआ। उन्होंने 7 अक्टूबर 2024 को प्रकाशित एक खबर का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि पुनर्वास ग्रामों को खदान प्रभावित सूची से हटा दिया गया।
प्रभावितों की अनदेखी के आरोप
सांसद ने कहा कि डीएमएफ के गठन को 10 साल हो चुके हैं, लेकिन प्रभावित लोगों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही। उन्होंने खान मंत्रालय के 16 जनवरी 2024 के दिशा-निर्देशों का उल्लेख करते हुए मांग की कि डीएमएफ राशि का उपयोग प्राथमिकता के आधार पर हो। साथ ही, जिला प्रशासन से अब तक किए गए कार्यों और प्रभावितों को दी गई सुविधाओं की विस्तृत जानकारी मांगी।