गरीबी सिर्फ भौतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक उपेक्षा और अवांछित महसूस करना भी है।
पहाड़ों को टुकड़ों में हिलाना शुरू करें, बड़े बदलाव धीरे-धीरे आते हैं।
असफलता के डर से घबराएं नहीं, प्रयासों से मिलने वाले सबक अमूल्य होते हैं।
परिवार और दोस्तों पर भरोसा करें; अकेले सब कुछ नहीं किया जा सकता।
मदद करने के लिए सही समय का इंतजार न करें, छोटे कार्य भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
धन और शोहरत से ज़्यादा ज़रूरी है अपने मूल्यों और आस्था पर अडिग रहना।
दूसरों के प्रति प्रेम और सेवा के माध्यम से अपने विश्वास को प्रकट करें।