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Expensive Electricity Bill : 65 लाख उपभोक्ताओं को लगेगा करंट…! नवंबर बिल में जोड़ा जाएगा 12% FPPAS

फ्यूल कॉस्ट बढ़ी तो बढ़ा बिल

रायपुर, 06 दिसंबर। Expensive Electricity Bill : प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए नवंबर का बिल महंगा होने वाला है। बिजली कंपनी नवंबर माह के बिजली बिल में कुल 12% FPPAS (Fuel and Power Purchase Adjustment Surcharge) वसूलने जा रही है। इसका असर सीधे तौर पर प्रदेश के करीब 65 लाख उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

कैसे लगेगा 12% FPPAS?

कंपनी दो महीनों का समायोजन एक साथ कर रही है-
  • अक्टूबर माह का बकाया : 9.59%
  • नवंबर माह का FPPAS : 2.41%
इन दोनों को जोड़कर कुल 12% शुल्क बिजली बिल में जोड़ा जाएगा।

क्यों वसूला जाता है FPPAS?

FPPAS वह शुल्क है, जो बिजली उत्पादन में लगने वाले ईंधन की कीमतों, कोयले के परिवहन खर्च और बिजली खरीद लागत में बढ़ोतरी के आधार पर लगाया जाता है। इस बार ईंधन मूल्य और पावर परचेज कॉस्ट बढ़ने की वजह से यह अतिरिक्त बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है।

किस पर पड़ेगा सीधा असर?

  • घरेलू, व्यावसायिक और औद्योगिक, सभी श्रेणियों के उपभोक्ता प्रभावित होंगे
  • बिजली खपत जितनी अधिक, FPPAS का भार उतना ज्यादा
  • ग्रामीण उपभोक्ताओं पर भी इसका सीधा आर्थिक असर पड़ेगा

क्या होगा परिणाम?

नवंबर के बिजली बिल पिछले महीनों की तुलना में noticeably अधिक होंगे। सरकार और बिजली कंपनी का कहना है कि यह शुल्क नियमानुसार समायोजन प्रक्रिया का हिस्सा है। कुल मिलाकर, नवंबर में आने वाले बिजली बिल उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त बोझ डालने वाले हैं।

जानिए आसान भाषा में FPPAS क्या है?

FPPAS का पूरा नाम है– Fuel and Power Purchase Adjustment Surcharge। हिंदी में इसे ईंधन एवं विद्युत खरीद समायोजन अधिभार कहा जाता है। यह बिजली कंपनियों द्वारा लगाया जाने वाला एक समायोजन शुल्क है, जो बिजली उत्पादन और बिजली खरीद की बढ़ी हुई लागत के अनुसार हर महीने बदला जा सकता है।

FPPAS क्यों लगाया जाता है?

बिजली बनाने और खरीदने में कई तरह के खर्च होते हैं, जैसे-
  • कोयले की कीमत
  • ईंधन का परिवहन खर्च
  • बाहर से खरीदी गई बिजली की दर
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन कीमतों में उतार–चढ़ाव
जब इन खर्चों में बढ़ोतरी होती है, तो बिजली कंपनी उस महीने के अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए उपभोक्ताओं के बिल में FPPAS जोड़ती है।

यह कैसे लगता है?

  • यह प्रतिशत के रूप में बिजली बिल पर जोड़ा जाता है।
  • जितना ज्यादा उपयोग, उतना अधिक FPPAS शुल्क।
  • यह स्थायी टैक्स नहीं है; हर महीने लागत के अनुसार बदलता रहता है।
सरल शब्दों में FPPAS वह अतिरिक्त राशि है जो बिजली कंपनी ईंधन और बिजली खरीद की बढ़ी हुई लागत की भरपाई के लिए उपभोक्ताओं से लेती है। यह सीधे तौर पर बिजली के उत्पादन/खरीद लागत में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है।

FPPAS समझने का सरल उदाहरण

मान लीजिए, आपका सामान्य बिजली बिल = ₹1,000 (यह बिल आपकी यूनिट खपत और सामान्य दरों पर आधारित है)। अब बिजली कंपनी कहती है कि इस महीने ईंधन और बिजली खरीद की लागत बढ़ गई है। इसलिए वे 10% FPPAS जोड़ रहे हैं। तो बिल में FPPAS ऐसे जुड़ेगा-
  • आपका मूल बिल = ₹1,000
  • FPPAS (10%) = ₹100
  • अंतिम बिल = ₹1,000 + ₹100 = ₹1,100
यानी FPPAS के कारण आपका बिल ₹100 बढ़ गया।

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