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कोयला घोटाले के आरोपितों को वीआईपी सुविधा, DIG समेत छह की छुट्टी

रायपुर । करोड़ों के कोल लेवी और शराब घोटाले के मामले में निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर बिश्नोई, सौम्या चौरसिया, अनवर ढेबर सहित 20 से अधिक आरोपितों को रायपुर केंद्रीय जेल में वीआईपी सुविधा दी गई। इसके चलते ही डीआईजी के साथ जेल अधीक्षक का प्रभार संभाल रहे एसएस तिग्गा, जेल अधीक्षक गोरखनाथ प्रधान समेत एक प्रहरी, महिला जेल की प्रभारी उप जेल अधीक्षक मधु सिंह और दो महिला प्रहरियों को शुक्रवार को यहां से हटाकर दूसरे जेलों में भेज दिया गया।

विधानसभा के बजट सत्र में भी यह मामला विधायक राजेश मूणत ने उठाया था। बता दें कि वीआईपी सुविधा देने के आरोपों की सच्चाई जानने के लिए गृह मंत्री विजय शर्मा को खुद जेल का निरीक्षण करना पड़ा था। जेल डीजी राजेश मिश्रा ने कहा कि जेल के अधिकारी और कर्मचारियों के तबादले प्रशासनिक है।

 

जेलों में किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है। रायपुर जेल में बंद आरोपित सुनील अग्रवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी, नितेश पुरोहित, त्रिलोक ढिल्लन सहित अन्य आरोपितों को वीआईपी सुविधा देने के आरोप जेल अधिकारियों पर लगते रहे है।

सूत्रों की माने तो जेल अस्पताल के डॉक्टरों की सलाह पर गंभीर बीमारी से पीड़ित बंदियों को इलाज के लिए सरकारी, निजी अस्पताल में भर्ती कराने का प्रविधान है। अमूमन रोज ऐसे तीन से पांच बंदियों को अस्पताल ले जाया जाता है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में रसूखदार बंदी बीमारी का बहाना बनाकर अक्सर अस्पताल जाते थे, लेकिन सत्ता बदलते ही जेल प्रशासन अलर्ट है। पिछले दो महीने में करीब 50 सामान्य बंदियों को सरकारी अस्पताल ले जाया गया है।

दिसंबर से पहले बार-बार हो रहे थे बीमार

कोयला और शराब घोटाले केस में जेल में बंद छह आरोपित ऐसे है, जो दिसंबर से पहले बार-बार जेल में बीमार होकर अस्पतालों में भर्ती होकर सारी सुविधाएं ले रहे थे। लेकिन भाजपा सरकार आते ही कोई भी आरोपित एक बार भी बीमार नहीं हुआ। सूत्र बताते है कि अस्पताल के सबसे ज्यादा चक्कर सूर्यकांत तिवारी और अनवर ढेबर ने लगाए हैं। सूर्यकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी, नितेश पुरोहित और त्रिलोक ढिल्लन दिसंबर के पहले कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे।

विधानसभा में भी उठा था आरोपितों का मामला
विधानसभा के बजट सत्र में भी यह मामला विधायक राजेश मूणत ने उठाकर यह पूछा था कि शराब और कोयला घोटाले में शामिल आरोपितों को सामान्य कैदियों की तरह सामान्य बैरकों में रखा गया है क्या? इसके जवाब में डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने बताया था कि उन सभी को सामान्य कैदियों की तरह सामान्य बैरकों में रखा गया है।

जेल नियमावली के अनुसार, बैरकों में रखते हुए सुविधाएं दी जा रही है। अब सवाल यह उठने लगा है कि इन रसूखदार बंदियों को जेल के खाने की जगह घर का भोजन, एसी, बिस्तर, टीवी, मोबाइल आदि की सुविधा कैसे मिल रही थी, वहीं जेल चिकित्सक किस बीमारी होने का हवाला देकर रसूखदार बंदियों को अस्पताल में भर्ती करने की सलाह देते थे।

कब, किस रसूखदार को कराया भर्ती

 

सूत्रों ने बताया कि शराब घोटाले के आरोपित अनवर ढेबर को 14 जून 2023 को आंबेडकर अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद वे 22 से 24 जुलाई तक अस्पताल के मेडिसिन विभाग में भर्ती रहे। 22 से 24 जुलाई तक उन्हें फिर से भर्ती कराया गया था।

वहीं त्रिलोक ढिल्लन का 22 से आठ जुलाई तक अस्पताल में इलाज कराया गया। फिर 12 अगस्त से 16 अगस्त तक अस्पताल में रखा गया। नितेश पुरोहित और सुनील अग्रवाल को आठ से 14 दिसंबर 2022 तक फिर 15 दिसंबर से 23 दिसंबर 2022 तक अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

इसके बाद 15 से 16 अप्रैल 2023, फिर 17 मई से 21 जून, 22 जून से छह जुलाई तक भर्ती कराया गया था, जबकि लक्ष्मीकांत तिवारी को 17 जनवरी 2024 को एक निजी अस्पताल में ले जाया गया था, जहां 21 जनवरी तक वे भर्ती रहे। वहीं सूर्यकांत तिवारी को 17 और 18 नवंबर 2022 को अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 18 से 19 फरवरी 2023, 17 से 29 अप्रैल 2023, 15 मई से आठ जुलाई तक तिवारी फिर से आंबेडकर अस्पताल में भर्ती रहे। इसके अलावा अन्य आरोपित भी कई बार अस्पताल गए, लेकिन उनके रिकार्ड सामने नहीं आए है।

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