Land Scam : भाजपा विधायक संजय पाठक पर आदिवासियों की 1100 एकड़ जमीन हड़पने का आरोप…! आयोग ने मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने दिए 30 दिनों में जांच के आदेश, ED तक पहुंची सहारा जमीन सौदे की शिकायत

कटनी/जबलपुर, 17 सितंबर। Land Scam : मध्यप्रदेश के कटनी जिले से सत्तारूढ़ भाजपा के लिए एक और बड़ा विवाद सामने आया है। विजयराघवगढ़ से भाजपा विधायक संजय पाठक पर आदिवासी समुदाय की 1100 एकड़ जमीन हड़पने का गंभीर आरोप लगा है। यह मामला अब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संज्ञान में आ चुका है, जिसने 30 दिनों के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए हैं।
क्या हैं आरोप?
शिकायत के अनुसार, विधायक संजय पाठक ने अपने चार निजी कर्मचारियों नत्थू कोल,,प्रहलाद कोल,,राकेश सिंह गौड़, रघुराज सिंह गौड़ के नाम पर यह ज़मीन खरीदी।
चौंकाने वाली बात यह है कि ये सभी कर्मचारी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं, लेकिन इनके नाम पर जबलपुर, कटनी, डिंडौरी, उमरिया और सिवनी जिलों में बैगा जनजाति की बहुमूल्य जमीनें खरीदी गईं।
आरोप यह भी है कि जमीनों का चयन खनन क्षेत्रों के आसपास रणनीतिक स्थानों पर किया गया, जिससे संदेह और गहरा हो गया है कि यह कोई सामान्य लेन-देन नहीं, बल्कि पूर्वनियोजित भूमि घोटाला है।
प्रशासन की चुप्पी और सवाल
जबलपुर के कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि उन्हें अब तक आयोग से कोई आधिकारिक आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि, जैसे ही आयोग से आदेश प्राप्त होगा, नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इस बयान ने एक और सवाल खड़ा कर दिया, इतनी बड़ी मात्रा में भूमि हस्तांतरण प्रशासन की जानकारी और जांच के बिना कैसे हुआ?
सहारा इंडिया की 310 एकड़ ज़मीन सौदे में भी विधायक का नाम
इस बीच विधायक संजय पाठक का नाम एक अन्य विवादित भूमि सौदे में भी सामने आया है। आरोप है कि उन्होंने सहारा इंडिया समूह की लगभग 310 एकड़ बहुमूल्य जमीन को औने-पौने दाम में खरीदा। यह सौदा भोपाल, जबलपुर और कटनी में फैली संपत्तियों से जुड़ा है। शिकायत के अनुसार, वास्तविक कीमत करीब ₹1000 करोड़, लेकिन दस्तावेज़ों में यह केवल ₹79.66 करोड़ दर्शाई गई। शिकायत में यह भी कहा गया कि सौदे में काले धन का उपयोग हुआ और यह दो पारिवारिक फर्मों के नाम पर दर्ज किया गया। यह मामला अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पास पहुंच गया है।
435 पन्नों की शिकायत
शिकायतकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत 435 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट में न सिर्फ भूमि हड़पने के आरोप हैं, बल्कि उसमें यह भी दर्शाया गया है कि यह पूरा तंत्र राजनीति, रियल एस्टेट और खनन उद्योग के संभावित गठजोड़ का उदाहरण हो सकता है।
क्या कहते हैं जानकार?
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि, यदि आदिवासी भूमि का हस्तांतरण फर्जी दस्तावेजों या दबाव में हुआ है, तो यह न केवल संविधान की अनुसूचित जनजातियों की सुरक्षा नीति का उल्लंघन है, बल्कि आपराधिक श्रेणी में भी आता है।
विधायक संजय पाठक ने इस मामले पर अब तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। उनके कार्यालय से भी मीडिया को कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
आयोग की जांच रिपोर्ट 30 दिनों में आने की उम्मीद। ईडी द्वारा यदि मामला प्रारंभिक जांच में सही पाया गया, तो पूछताछ और संपत्ति की जांच हो सकती है। राजनीतिक स्तर पर भाजपा की छवि को गहरा धक्का लग सकता है, खासकर चुनावी माहौल में। कटनी विधायक संजय पाठक पर लगे ये आरोप महज़ एक व्यक्ति की छवि नहीं, बल्कि राजनीति, प्रशासन और व्यापार के संभावित अनैतिक गठजोड़ को उजागर करने वाले प्रतीत होते हैं।